नवरात्रि में सातवें दिन मां कालरात्रि के पूजन का विधान है. मां कालरात्रि की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए. अपने मन में किसी भी तरह का पाप ना आने दें.
मां कालरात्रि देवी तीन नेत्रधारी हैं. इनके गले में विद्युत की अद्भुत माला है. मां कालरात्रि का वाहन गधा है तथा उनके हाथों में खड्ग और कांटा है. मां कालरात्रि को मां शुंभकरी भी कहते हैं क्योंकि यह भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं. कहते हैं कि जो भक्त सच्चे दिल से मां की उपासना करते हैं वह हमेशा कल्याण के भागी होते हैं.

मां कालरात्रि की पूजा करने से कल्याण तो होता ही है इसके साथ ही आप अपने शत्रुओं पर भी नियंत्रण पा सकते हैं. शत्रु आप के खिलाफ जो भी साजिश रचते हैं आपका मां कालरात्रि की कृपा से कुछ भी बुरा नहीं होगा. डर, अकाल मृत्यु, दुर्घटना, रोग इत्यादि का भी नष्ट मां कालरात्रि की उपासना से ही होता है. अपने शनि ग्रह को नियंत्रित करने के लिए तथा उस पर विजय पाने के लिए भी मां कालरात्रि की पूजा की जाती है.
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हमारे पास सुबह इतना टाइम नहीं होता कि हम बहुत ज्यादा अपना समय पूजा के लिए दे पाएं, लेकिन इसमें घबराने की बात नहीं है. यदि सुबह हम पूजा करते हैं और हमारा मन नहीं भरता है तो शाम को भी सच्चे दिल से विधि विधान से मां की पूजा-अर्चना की जा सकती है. तो आइए हम आपको मां कालरात्रि की पूजन विधि के बारे में बताते हैं:
- साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर मां के सामने आसन बिछा कर बैठे.
- मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
- मां को फूल चढ़ाएं. यदि फूल लाल रंग का हो तो अच्छा रहेगा.
- मां को गुड़ का भोग लगाएं.

- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तथा मां के मंत्रों का उच्चारण करें.
- इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें तथा क्षमा प्रार्थना करें.
- जो आपने गुड़ का भोग लगाया है उस भोग को घर में प्रसाद के रूप में बांट दें.
-इसके बाद मां से सच्चे दिल से प्रार्थना करें और अपने मन में किसी के लिए नकारात्मक ना सोचे.
ध्यान रहें कि पूजा करते समय आपका सारा ध्यान पूजा में ही हो. किसी के लिए गलत सोचने से आपका ही नुकसान है इसलिए जितना हो सके अच्छा-अच्छा सोचें और करें.