शीतला अष्टमी पर करें इस विधि से पूजन, माता हो जाएंगी प्रसन्न

शीतला अष्टमी पर करें इस विधि से पूजन, माता हो जाएंगी प्रसन्न

स्कन्द पुराण के अनुसार माता शीतला अत्यंत शीतल व सभी प्रकार के कष्ट रोग हरने वाली देवी है. शीतला मां के हाथों में कलश,सूप व झाड़ू और नीम के पत्ते है.गधा इनकी सवारी है. इनकी उपासना का पर्व शीतला अष्टमी होता है जो कि गर्मियों में आती है. इस बार 4 अप्रैल को शीतला अष्टमी मनाई जाएगी.

माता शीतला साफ-सफाई व समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं.शीतला अष्टमी पर माता शीतला को बासी खाद्य पदार्थ चढाया जाता है, इस पूजा को बसौड़ा भी कहा जाता हैं.जब रोगों के संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है तब बसंत और ग्रीष्म में उनको पूजा जाता है.

वैज्ञानिक आधार के मुताबिक चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ़ की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. आम व्यक्तियों को रोगों के संक्रमण से बचाने के लिए शीतला अष्टमी मनाई जाती है.माना जाता है कि इस दिन आप आखिरी बार बासी भोजन कर सकते हैं इसके बाद बासी भोजन नहीं खाना चाहिए. कहा जाता है कि इस दिन के बाद से यदि आप बासी भोजन करते हैं तो हमारी सेहत खराब हो सकती है.

इससे ये साबित होता है कि यह पर्व गर्मियों की शुरुआत में आता है इसीलिए भी बासी भोजन खाने की मना होती है साथ ही गर्मी में साफ-सफाई शीतल जल व एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर नीम का उपयोग करना अच्छा माना जाता है.

शीतला माता की पूजा करने के लिए मां को चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित करें , साथ ही अपने बच्चे के साथ माता शीतला की पूजा करें.माता को खीर का भोग लगाएं. इसके साथ ही चांदी का चौकोर टुकड़ा लाल धागे में बांधकर बच्चे के गले में पहनाएं.

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