जब घर में किसी बेटे की शादी होती है तो नई नई दुल्हन घर में प्रवेश करती है,लोग नई वधु के आगमन को कहते हैं कि हमारे घर में लक्ष्मी का प्रवेश हुआ है,इसके साथ ही जब घर में कोई भी खुशी आती है तो लोग कहते हैं हमारी बहु लक्ष्मी स्वरूप है इसके आने से हमारी घर में खुशियां आ गई है.वैसे ही लड़कों को भी ससुराल में भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं, और जब दामाद पहली बार ससुराल में प्रवेश करता है तो उसकी आरती ऊतारी जाती है और साथ ही दान भी दिया जाता है.

वधु को लक्ष्मी का अवतार मानना और दामाद को भगवान विष्णु का अवतार मानने के पीछे हमारे शास्त्रों में एक कहानी बताई गई है-कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने जब भगवान राम का अवतार लेकर धरती पर आए हैं तो उस दौरान उन्होंने लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता से विवाह किया तो जब सीता माता अयोध्या गई थी तो उन्हें लक्ष्मी स्वरूप बहू के रूप में स्वीकार किया था. इसीलिए बहू को लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है.

वहीं भगवान विष्णु के अवतार राम बनकर जब माता सीता के पास मिथिला पहुंचे थे तब उनको भगवान विष्णु का रूप मानकर ही पूजा की थी. इसी तरह से बेटी को भी माता सीता का रूप मानते हैं.